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सर्वोच्च न्यायालयाच्या शतयश लोकपाल आदेशाविरुद्ध उच्च न्यायालयाच्या विद्यमान न्यायाधीशांनी केंद्राला नोटीस बजावली आहे

Supreme court stays lokpal order against sitting high court judge issue notice to centre

सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : एएनआई (फाइल)

विस्तार


सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ दिए गए लोकपाल के आदेश पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि ये बहुत परेशान करने वाली बात है। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर चिंता जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही लोकपाल रजिस्ट्रार और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की शिकायत करने वाले शिकायतककर्ता को भी नोटिस जारी किया है। दरअसल लोकपाल ने उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत पर सुनवाई की। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे पर सुनवाई की कि क्या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भारत के लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं या नहीं?

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पीठ ने न्यायाधीश के नाम का खुलासा करने पर लगाई रोक

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय ओक की पीठ ने सुनवाई के दौरान लोकपाल के उच्च न्यायालय के जज के खिलाफ शिकायत सुनने पर नाराजगी जताई और इसे बेहद परेशान करने वाली बात बताया। पीठ ने उन न्यायाधीश के नाम का खुलासा करने पर भी रोक लगा दी है, जिनके खिलाफ लोकपाल ने शिकायत सुनी। सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता को निर्देश दिया है कि वे हाईकोर्ट के जज के नाम को गोपनीय रखें। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के अधिकार क्षेत्र में कभी नहीं आएंगे। अब पीठ इस मामले पर 18 मार्च को सुनवाई करेगी। 

क्या है पूरा मामला

बीती 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाले लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि लोकपाल एक्ट के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। लोकपाल ने यह टिप्पणी एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए की। शिकायत में आरोप लगाया गया कि एक निजी कंपनी से जुड़े मामले में उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश ने अतिरिक्त जिला जज और एक अन्य उच्च न्यायालय के जज को प्रभावित करने की कोशिश की। लोकपाल ने देश के मुख्य न्यायाधीश से इसे स्पष्ट करने की मांग की थी।

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